महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित, 8 घंटे चली बहस
सदन में विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल।
@ सुनो सुनो नेटवर्क |
नई दिल्ली | लोकसभा ने बुधवार को ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंजूरी दे दी। इसमें संसद के निचले सदन लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीट महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है।
इससे संबंधित ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर निचले सदन में करीब आठ घंटे बहस हुई। विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के जवाब के बाद मत विभाजन के जरिए इसे स्वीकृति दी गई। विधेयक के पक्ष में 454 और विरोध में 2 वोट पड़े।
विधेयक पारित किए जाने के दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विधेयक पर चर्चा की शुरुआत की। राहुल गांधी, गृह मंत्री अमित शाह, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी समेत कुल 60 सदस्यों ने इस विधेयक पर चर्चा में भाग लिया। इनमें 27 महिला सदस्य शामिल हैं।
मेघवाल ने कहा, 'सरकार ने इस बार ऐसी व्यवस्था की है कि महिलाओं को अब इंतजार नहीं करना पड़ेगा। आप (विपक्ष) चाहते हैं कि यह विधेयक तकनीकी कारणों से फंस जाए, लेकिन हम इस बार इसे फंसने नहीं देंगे। कांग्रेस विधेयक इसलिए नहीं ला सकी क्योंकि उनकी न नीति थी, न नीयत थी और न नेतृत्व। हमारे पास नीति भी है, नीयत भी और मोदी जी जैसा नेतृत्व भी।'
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सदन में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी। |
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, 'महिला आरक्षण बिल में ओबीसी का कोटा होना चाहिए। भारत की आबादी के इस बड़े हिस्से को आरक्षण मिलना चाहिए, जो इस विधेयक में नहीं है।'
‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ के कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की न्यूनतम संख्या 181 हो जाएगी। अभी लोकसभा में 82 महिला सांंसद हैं। राज्य विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी।
मेघवाल ने मंगलवार को लोकसभा में कहा था कि विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है। संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा। केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया था कि महिलाओं की आरक्षित सीट में भी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण होगा।
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