'मुखौटा' बदल फल-फूल रहा भ्रष्टाचार

 गुड्डू केवलरामानी (फाइल फोटो)

@महेश कुमार शर्मा |

नागपुर | सिंधु युवा फोर्स के अध्यक्ष समाजसेवी गुड्डू केवलरामानी ने आरोप लगाया है निर्मूलन के तमाम दावों के बावजूद भ्रष्टाचार केवल 'मुखौटा' बदलकर अधिक फल-फूल रहा है। करप्शन के कीर्तिमान स्थापित करने वाले ट्राफिक पुलिस विभाग ने खुद को 'सेफ' रखने के लिए अब ऑनलाइन वसूली का हथकंडा अपनाया है। ट्राफिक पुलिसकर्मियों की 'गिद्ध-दृष्टि' बाधित हुए यातायात को व्यवस्थित करने से अधिक छोटे-मोटे नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनचालकों को दबोचने पर ज्यादा होती है। इसके लिए उन्हें 'अशालीन' भाषा का उपयोग करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती। यहां तक कि दयानंद पार्क के बाहर, भीम चौक, जरीपटका मुख्य बाजार की दूकानों के सामने बेतरतीबी से डटे ठेलों के कारण यातायात अवरुद्ध होने को भी यह नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन वहां इन्हें नियमों का उल्लंघन नहीं दिखता। उनके खिलाफ कार्रवाई करने का मतलब बंधी-बंधाई कमाई से हाथ धोना है। इससे पहले भी भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की गाज सामान्य जनता पर कहर बरपाती थी, किन्तु बदलते परिवेश में छुरी 'मीठी' हो चली है। 

चालान।

मान लीजिए कि आप घर से चंद कदम दूर ही अनाज पिसवाने फ्लोर मिल पर अथवा 40-50 रुपए की सब्जी खरीदने पास स्थित बाजार में जाते हैं और हेलमेट नहीं पहना है या सुविधा के लिए दूकान के पास ही स्कूटर पार्क किया, फिर तो खैर नहीं...!  'दिव्यदृष्टि' से युक्त कोई ट्राफिक पुलिसवाला पलक झपकते ही हाथ में मोबाइल थामे आपके सामने प्रकट हो जाएगा। नेत्रों से अग्निवर्षा करता हुआ आपका वाहन सहित फोटो निकालने की मुद्रा बनाएगा। अगर आप चुप रहे तो वह फोटो क्लिक कर अत्यन्त मृदु-सभ्य स्वर में कहेगा -'ट्राफिक के फलां -फलां नियमों के उल्लंघन करने के कारण आपका चालान काट दिया है। ट्राफिक आफिस में जाकर 500 रुपए जुर्माना भर दीजिएगा।' आप सोचने लगेंगे कि 5 किलो गेहूं पिसवाना या 40-50 रुपए की सब्जी किस भाव में पड़ेगी...? अब आप अपने मुंह में चाशनी घोलकर कहेंगे -'साहब, आगे से गलती नहीं होगी। आप चालान कैंसल कर दीजिए प्लीज...!' लेकिन उस शातिर विनम्र प्राणी पर आपकी गिड़गिड़ाहट का तनिक भी असर तब तक नहीं पड़ेगा, जब तक आप उसकी मुट्ठी अच्छे से गर्म नहीं करेंगे। वह पहले हीला-हवाला तो करगा, लेकिन मनचाही दक्षिणा पाकर 'ईशदूत' प्रसन्न हो जाएगा और आपका कथित चालान उसकी एक ही क्लिक से डिलीट हो जाएगा। आप मन में 'दिग्विजयी' भाव लिए घर जाएंगे। अगर आपने उससे उलझने की कोशिश की अथवा अपनी 'पहुंच/कानूनी ज्ञान' का उल्लेख किया तो सौदा आपको ही महंगा पड़ेगा। इस संदर्भ में भुक्तभोगी गुड्डू केवलरामानी ने घर के पास ही हुए अपने चालान की प्रति भी प्रस्तुत की है।

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