राहुल गांधी की सांसदी बहाल, कांग्रेस ने कहा - नफरत के खिलाफ जीती मोहब्बत

राहुल गांधी (फाइल फोटो)

सुनो सुनो नेटवर्क | 

नई दिल्ली | कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसदी (लोकसभा सदस्यता) सोमवार को बहाल कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने ‘मोदी उपनाम’ को लेकर की गई टिप्पणी के संबंध में राहुल की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी। राहुल की सदस्यता बहाल करने के संबंध में लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी की। 

सचिवालय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 4 अगस्त के फैसले के मद्देनजर राहुल गांधी की अयोग्यता संबंधी 24 मार्च की अधिसूचना का क्रियान्वयन आगामी न्यायिक फैसले तक रोका जाता है। राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कहा था कि निचली अदालत ने राहुल गांधी को दोषी ठहराते समय कोई कारण नहीं बताया, सिवाय इसके कि उन्हें अवमानना मामले में शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी थी।  

बता दें कि राहुल ने अप्रैल 2019 में कर्नाटक में एक रैली के दौरान मोदी उपनाम को चोरों से जोड़ा था। भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने पुलिस में मामले की शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने राहुल पर मोदी सरनेम वालों को बदनाम करने का आरोप लगाया था। 

मार्च 2023 में सूरत की मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी। अगले दिन राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। अप्रैल 2023 में सूरत की सेशन कोर्ट और जुलाई 2023 में गुजरात हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगा दी है।

राहुल गांधी की सदस्यता बहाल होने पर कांग्रेस ने  ट्वीट कर कहा है- 'यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है।' कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'यह भारत की जनता और खासकर वायनाड के लोगों के लिए राहत की बात है। मोदी सरकार के पास अब जितना भी वक्त बचा है, उसका इस्तेमाल सुशासन के लिए होना चाहिए न कि विपक्ष के नेताओं को टारगेट करने के लिए।'

राहुल गांधी 2004 से लोकसभा सांसद हैं। उनकी सदस्यता तब बहाल हुई है, जब कांग्रेस की अगुआई में कई विपक्षी दलों ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। अविश्वास प्रस्ताव पर इसी हफ्ते लोकसभा में बहस होनी है। अब राहुल गांधी भी इस बहस में हिस्सा ले सकेंगे। इससे पहले 7 फरवरी को राहुल गांधी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस में शामिल हुए थे। 

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस मांग कर रही थी कि जितनी तेजी राहुल गांधी की सदस्यता लेने में दिखाई गई थी, उतनी ही तेजी सदस्यता बहाल करने में भी दिखानी चाहिए। 

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