विपक्ष का भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का फैसला, केजरीवाल ने रखी शर्त

बैठक के बाद मीडिया से बातचीत।

@ सुनो सुनो नेटवर्क |

पटना | विपक्ष के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी और उनकी पार्टी भाजपा को एकजुट होकर चुनौती देने का शुक्रवार को संकल्प लिया। वे अब अगले महीने शिमला में आगे के कदमों पर मंत्रणा करेंगे।

दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी (आप) ने विपक्षी एकजुटता की इस पूरी कवायद पर प्रश्नचिह्न भी लगा दिया। आप ने कहा कि दिल्ली से संबंधित केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस के अपना रुख स्पष्ट करने तक वह उसकी मौजूदगी वाली किसी भी विपक्षी बैठक में शामिल नहीं होगी। कांग्रेस को यह तय करना होगा कि वह दिल्ली के लोगों के साथ है या मोदी सरकार के साथ खड़ी है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मेजबानी में यह बैठक मुख्यमंत्री के आवास ‘1 अणे मार्ग’ पर हुई। इसमें 15 दलों के करीब 30 विपक्षी नेताओं ने भाग लिया।

कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने बैठक में भाग लिया। द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला, पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती, भाकपा के महासचिव डी. राजा, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और कुछ अन्य नेता भी इस बैठक में शामिल हुए।

करीब चार घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद विपक्षी नेताओं ने मीडिया से बातचीत की। लेकिन आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल संवाददाता सम्मेलन में नहीं पहुंचे। केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आप सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा बैठक के तत्काल बाद पटना से दिल्ली रवाना हो गए।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया से कहा, ‘काफी अच्छी मुलाकात हुई। एक साथ चुनाव लड़ने और सब तरह की सहमति हो गई है। एक बैठक और होगी। एक बैठक हो जाएगी तो उसमें सारी चीजें अंतिम रूप ले लेंगी। सब लोग मिलकर चलेंगे, यह देश के हित में है। जो लोग अभी शासन में हैं, वे देश के हित में काम नहीं कर रहे हैं। वे देश का इतिहास बदल रहे हैं। नीतीश ने दिल्ली से संबंधित केंद्र के अध्यादेश का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए कहा कि अगर किसी राज्य के बारे में कोई चुनौती आती है तो सब साथ रहेंगे।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अगली बैठक जुलाई महीने में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में होगी। उन्होंने कहा कि सभी नेतागण एक होकर चुनाव लड़ने का एजेंडा तैयार कर रहे हैं। हम सभी जल्दी ही शिमला में मिलेंगे। वहां आगे के लिए निर्णय लिया जाएगा। हम एकजुट होकर 2024 की लड़ाई लड़ेंगे। भाजपा को सत्ता से हटाकर लोकतंत्र की रक्षा करेंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यह विचारधारा की लड़ाई है। हम एक साथ खड़े हैं। हमारे बीच थोड़े-बहुत मतभेद हो सकते हैं। लेकिन हमें मिलकर काम करना है।

तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि हम एक हैं, हम मिलकर लड़ेंगे। अगले महीने बैठक होगी।  शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने को तैयार हैं।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह सत्ता की लड़ाई नहीं है, बल्कि लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए लड़ाई है। उन्होंने कहा, ‘मैं और महबूबा साहिबा मुल्क के उस बदनसीब इलाके से ताल्लुक रखते हैं, जहां लोकतंत्र का दिनदहाड़े कत्ल किया जा रहा है।’ पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘हमारी कोशिश यह रहेगी कि हम गांधी के मुल्क को ‘गोडसे का मुल्क’ नहीं बनने देंगे।’

माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि आने वाले दिनों में सामूहिक राजनीतिक कार्यक्रम और जन-आंदोलन होंगे। राज्यों में चुनावी तालमेल होगा, ताकि मतों के बंटवारे का फायदा भाजपा और सांप्रदायिक ताकतों को न मिले। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि आज पटना राजनीतिक नवजागरण का गवाह बना है। मिलकर देश को बचाने के लिए काम करना है।

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