रामटेक : 12वीं के टॉपर मानस सेलोकर की सफलता का मंत्र - जो पढ़ो, ध्यान से पढ़ो
माता-पिता एवं भाई के साथ मानस सेलोकर।
@ सुनो सुनो इंटरव्यू |
रामटेक | महाराष्ट्र बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में इस साल रामटेक तहसील में मानस सेलोकर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मानस के माता- पिता रामटेक के जानेमाने चिकित्सक डॉ. मंजूषा सेलोकर एवं डॉ. बीआर सेलोकर हैं। मानस श्रीराम विद्यालय, रामटेक के छात्र हैं। उन्होंने इस परीक्षा में विज्ञान संकाय से 90% अंक हासिल किए। उन्हें अंग्रेजी में 81, गणित-सांख्यिकी में 87, भौतिकी में 92, रसायन में 93, जीवविज्ञान में 93 और सूचना एवं प्रौद्योगिक विज्ञान में 94 अंक मिले हैं। मानस अपनी इस उपलब्धि का श्रेय परिवार एवं गुरुजनों को देते हैं। एक छात्र कैसे टॉपर बनता है? इस बारे में हमने मानस से बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के अंश।
प्रश्न : 12वीं की परीक्षा के लिए रोज कितने घंटे पढ़ते थे?
उत्तर : स्कूल की पढ़ाई के अलावा रोजाना तीन-चार घंटे पढ़ता था। जो भी पढ़ा, ध्यान से पढ़ा। पढ़ाई के बीच में थोड़ा विराम भी लेता था। पढ़ाई हमेशा सहजता से की। इसे बोझ नहीं समझा। सुबह का समय पढ़ाई के लिए बहुत अच्छा होता है।
प्रश्न : क्या कोचिंग क्लास की मदद ली?
उत्तर : स्कूल ने पूरा सहयोग किया। इसके अलावा ऑनलाइन एवं ऑफलाइन कोचिंग की मदद ली। इससे अध्ययन सामग्री को व्यवस्थित तरीके से पढ़ सका। स्वाध्याय पर भी पूरा जोर दिया। इसलिए आत्मविश्वास बढ़ा।
प्रश्न : आगे क्या करना चाहते हैं?
उत्तर : डॉक्टर बनना चाहता हूं। नीट दी है। उम्मीद करता हूं, इसमें भी बेहतर अंक लाऊंगा। जेइई भी दी है। लेकिन प्राथमिकता मेडिकल साइंस है।
प्रश्न : चिकित्सा विज्ञान में ही रुचि क्यों? क्या माता-पिता डॉक्टर हैं इसलिए?
उत्तर : हां, पारिवारिक पार्श्वभूमि है ही। इसके अलावा रिसर्च में रुचि है। इसलिए चिकित्सा विज्ञान को महत्व देता हूं।
प्रश्न : 12वीं और नीट की तैयारी के बीच कैसे तालमेल रखा?
उत्तर : नीट के लिए एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम से तैयारी की। इससे 12वीं की तैयारी भी हुई। विज्ञान विषय आसानी से पढ़ लिया। केवल गणित और अंग्रेजी के लिए अलग से मेहनत करनी पड़ी।
प्रश्न : पढ़ाई के अलावा और क्या करना पसंद करते हैं?
उत्तर : तैराकी पसंद है। आर्ट-क्राफ्ट में रचि है।
माता-पिता डॉ. मंजूषा सेलोकर एवं डॉ. बीआर सेलोकर ने कहा -
- बेटा मानस चंचल है। हमने उसे पढ़ाई और अन्य अच्छी गतिविधियों में सक्रिय रखने का प्रयास किया। हालांकि, कभी जरूरत से ज्यादा पढ़ाई करने पर जोर नहीं दिया। उसे उसकी नींद पूरी करने दी। वह ताजे मन से पढ़ाई करता था।
- ऑनलाइन के अलावा ऑफलाइन कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराई। यह अच्छी बात है कि मानस ने स्वाध्याय पर जोर दिया।
- हमने देखा कि मानस नीट की तैयारी बेहतर तरीके से कर रहा था, लेकिन हाथ से लिखने की उसकी गति कम थी। इस ओर स्कूल के शिक्षकों ने भी हमारा ध्यान दिलाया। इसलिए हमने मानस को हाथ से लिखकर अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अच्छे नतीजे निकले।
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