मानहानि केस : राहुल गांधी बोले- मैं सावरकर नहीं, गांधी हूं, गांधी माफी नहीं मांगता
सुनो सुनो नेटवर्क |
नई दिल्ली | लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहली बार मीडिया के सामने आए। उन्होंने कहा, 'मेरी सदस्यता रद्द की गई क्योंकि प्रधानमंत्री मेरे अगले भाषण से डरे हुए थे। वे उस अगली स्पीच से डरे हुए थे जो अदानी पर होने वाली थी। मैंने यह उनकी आंखों में देखा। वे नहीं चाहते थे कि यह भाषण संसद में हो। इसीलिए पहले (संसद की कार्यवाही में) बाधा डाली गई। अब सदस्यता रद्द की गई है। कृपया इसे लेकर भ्रमित मत होइए। नरेंद्र मोदी और अदानी के बीच गहरा रिश्ता है।'
अपने बयान को लेकर कोर्ट में माफी मांगने के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा, 'मैं सावरकर नहीं हूं। मैं गांधी हूं। गांधी माफी नहीं मांगता।' राहुल ने कोर्ट के फैसले के बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि मामला कोर्ट का है। इस बारे में कोई बात नहीं करूंगा।'
लोकसभा सदस्यता रद्द होने से जुड़े एक सवाल के उत्तर में राहुल ने कहा, 'मेरी सदस्यता रद्द की जाए या फिर मुझे फिर से बहाल किया जाए, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मैं कहीं भी रहूं, अपनी लड़ाई जारी रखूंगा। अगर मुझे पांच-सात साल की सजा भी दे देते तो भी इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मैं एक ही कदम उठाऊंगा। वह है इसके खिलाफ आवाज उठाना। मेरा काम इस देश के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करना है। मैं वह करता रहूंगा, चाहे सदन में रह कर करूं या फिर बाहर रहकर।'
बता दें कि राहुल गांधी को जिस बयान के लिए दो साल की सजा सुनाई गई है वह उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनावों के दौरान कर्नाटक के कोलार में दिया था। उन्होंने कथित तौर पर कहा था, 'इन सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों है?' राहुल गांधी के इस बयान के खिलाफ भाजपा नेता पूर्णेश मोदी ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। पूर्णेश मोदी सूरत पश्चिमी से भाजपा विधायक हैं। वे पेशे से वकील हैं। वे भूपेंद्र पटेल की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
पूर्णेश मोदी का आरोप था कि राहुल गांधी की टिप्पणी से पूरे मोदी समुदाय की मानहानि हुई है। इस मामले की सुनवाई सूरत की अदालत में हुई। राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत केस दर्ज किया गया था। भारतीय दंड विधान की धारा 499 में आपराधिक मानहानि के मामलों में अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है। राहुल को अधिकतम सजा सुनाई गई है।
इसके बाद राहुल की सदस्यता रद्द कर दी गई। अनुच्छेद 102(1) और 191(1) के अनुसार अगर संसद या विधानसभा का कोई सदस्य, लाभ के किसी पद को लेता है, दिमागी रूप से अस्वस्थ है, दिवालिया है या फिर वैध भारतीय नागरिक नहीं है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी।
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