महात्मा गांधी की डिग्री पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल का बयान कितना सच्चा, कितना झूठा?

 

महात्मा गांधी (फाइल फोटो)

सुनो सुनो आवरण कथा |

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दावा किया कि महात्मा गांधी के पास कानून की डिग्री नहीं थी। सिन्हा ने यह भी कहा कि गांधी जी के पास कोई भी यूनिवर्सिटी डिग्री नहीं थी। बीबीसी हिंदी ने एक तथ्यपूर्ण रिपोर्ट प्रकाशित कर सिन्हा के दावे को झूठा करार दिया है। 

दरअसल, सिन्हा ग्वालियर की आईटीएम यूनिवर्सिटी में डॉ. राम मनोहर लोहिया व्याख्यान समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। सिन्हा ने अपने भाषण की शुरुआत गांधी जी की प्रशंसा से की। बाद में जो कहा, उस पर कोई लोगों को आपत्ति हो सकती है। सिन्हा ने कहा, 'पढ़े-लिखे लोगों तक को भ्रांति है कि गांधी जी के पास कानून की डिग्री थी। लेकिन गांधी जी के पास कोई डिग्री ही नहीं थी। उनके पास एकमात्र योग्यता हाईस्कूल डिप्लोमा थी।'

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार महात्मा गांधी की शिक्षा से जुड़े दस्तावेज सिन्हा के दावों के उलट तथ्य पेश करते हैं। ये दस्तावेज राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय से हासिल किए गए हैं। इनके मुताबिक़ गांधी जी ने लंदन यूनिवर्सिटी से जुड़े लॉ कॉलेज इनर टेम्पल से कानून की पढ़ाई कर डिग्री हासिल की थी। गांधी जी को 1891 में बार-एट-लॉ का सर्टिफिकेट जारी हुआ था। बार-एट लॉ परीक्षा पास करने वालों की सूची में गांधी जी का नाम 17वें नंबर पर था। इस सर्टिफिकेट के अलावा बार के सामने पेश महात्मा गांधी का दस्तखत किया हुआ दस्तावेज भी मौजूद है।

रिपोर्ट के अनुसार इनर टेम्पल में गांधी जी के दाखिले का दस्तावेज भी है। दस्तावेज़ का नंबर 7910 है। इसमें इनर टेम्पल में उनके दाखिले की घोषणा है।  दस्तावेज में एडमिशन का खर्च, स्टाम्प ड्यूटी, लेक्चर में शामिल होने की फीस का भी जिक्र है। लंदन में कानून की पढ़ाई के बाद गांधी भारत लौटे और बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की। लेकिन यहां उनकी वकालत नहीं चली। वे काठियावाड़ पॉलिटिकल एजेंसी में प्रैक्टिस करने के लिए राजकोट चले गए। हालांकि, काठियावाड़ में भी उन्हें कानून की प्रैक्टिस में कोई खास सफलता नहीं मिली। राजकोट पॉलिटिकल एजेंसी के गजट में यहां की अदालतों में प्रैक्टिस के लिए दिए गए महात्मा गांधी के आवेदन की सूचना दी गई है। 

रिपोर्ट कहती है कि 1893 में काठियावाड़ के एक मुस्लिम व्यापारी दादा अब्दुल्ला ने मोहन दास करमचंद गांधी से संपर्क किया। दादा अब्दुल्ला का दक्षिण अफ्रीका में शिपिंग का सफल बिजनेस था। वे चाहते थे कि गांधी जी वहां जाकर उनके कारोबारी मुकदमे लड़ें। दादा अब्दुल्ला के एक दूर के रिश्ते के भाई को भी एक वकील की जरूरत थी। वे चाहते थे कोई काठियावाड़ी वकील हो तो अच्छा रहेगा। दादा अब्दुल्ला के बुलाने पर भी गांधी अफ्रीका गए। उन्हें दक्षिण अफ्रीका के नटाल में एक साल रह कर दादा अब्दुल्ला के मुकदमे लड़ने थे। उस वक्त दक्षिण अफ्रीका भी अंग्रेजों का उपनिवेश था। अप्रैल, 1893 में 23 साल की उम्र में गांधीजी अब्दुल्ला के रिश्ते के भाई के वकील बनने के लिए दक्षिण अफ्रीका पहुंचे थे।

मनोज सिन्हा की ओर से गांधी जी की डिग्रियों पर किए गए दावे के बाद महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट कर सिन्हा के दावे का खंडन किया। उन्होंने लिखा, 'एमके गांधी ने दो बार मैट्रिक पास की। एक अल्फ्रेड हाईस्कूल राजकोट से, दूसरी इसके ही बराबर मानी जाने वाली लंदन की ब्रिटिश मैट्रिकुलेशन। उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से जुड़े लॉ कॉलेज इनर टेम्पल से कानून की पढ़ाई की। वहां से इसकी डिग्री हासिल की। गांधी जी ने एक के बाद एक दो डिप्लोमा हासिल किए। एक लैटिन में और दूसरा फ्रेंच में। मैंने बापू की आत्मकथा जम्मू राजभवन को भेज दी है। इस उम्मीद से कि उपराज्यपाल इसे पढ़ कर ज्ञान हासिल कर सकेंगे।'

*****

टिप्पणियाँ

सबसे ज्यादा लोकप्रिय

रामटेक से महायुति के उम्मीदवार आशीष जैस्वाल जीते

नागपुर : स्कूल बस पलटी, छात्रा की मौत, कई विद्यार्थी घायल

सावनेर से महायुति के उम्मीदवार आशीष देशमुख जीते

कामठी से महायुति के उम्मीदवार चंद्रशेखर बावनकुले जीते

महाराष्ट्र : शिंदे ने कहा- मोदी जिसे मुख्यमंत्री बना दें, हमारी तरफ से कोई अड़ंगा नहीं...

जिला परिषद पर सरकार के 65.26 करोड़ बकाया : यादव