भारत के विदेश मंत्री ने अमेरिका के कारोबारी को बताया- बूढ़ा, रईस, हठधर्मी और खतरनाक
@ वर्ल्ड मीडिया रिपोर्ट |जॉर्ज सोरोस और एस. जयशंकर (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर की गई टिप्पणी पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिग्गज अमेरिकी कारोबारी जॉर्ज सोरोस (92) की तीखी आलोचना की है। शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रायसीना डायलॉग के उद्घाटन सत्र के दौरान जयशंकर ने अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस को बूढ़ा, रईस, हठधर्मी और खतरनाक बताया।
जयशंकर ने कहा कि सोरोस की टिप्पणी ठेठ यूरो अटलांटिक नजरिये वाली है। जयशंकर ने कहा, 'सोरोस एक बूढ़े, रईस, हठधर्मी व्यक्ति हैं जो न्यूयॉर्क में बैठकर सोचते हैं कि उनके विचारों से पूरी दुनिया की गति तय होनी चाहिए। अगर मैं ठीक से कहूं तो वे बूढ़े, रईस, हठधर्मी और खतरनाक हैं।'
जयशंकर ने कहा कि भारत के मतदाताओं ने फैसला किया है कि देश कैसे चलना चाहिए। हम एक ऐसा देश हैं जो औपनिवेशिक दौर से गुजर चुका है। हम इस खतरे से अच्छी तरह से वाकिफ हैं कि जब बाहरी हस्तक्षेप होता है तो क्या होता है। आप (सोरोस) अफवाहबाजी कर रहे हैं कि दसियों लाख लोग अपनी नागरिकता से हाथ धो बैठेंगे। ऐसी अफवाहों से हमारे सामाजिक ताने-बाने को बहुत क्षति पहुंचेगा। इससे अलग-अलग देशों में और जटिलताएं पैदा होंगी।'
विदेश मंत्री ने कहा, 'उन (सोरोस) जैसे लोग अपनी पसंद के लोगों के जीतने पर चुनाव को अच्छा बताते हैं। दूसरा नतीजा आने पर कहते हैं कि यह खामियों वाला लोकतंत्र है। मजे की बात यह है कि ये सब खुले समाज का समर्थन करने का दिखावा करके किया जाता है।'
दरअसल, जर्मनी के म्यूनिख रक्षा सम्मेलन में सोरोस ने म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेन्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कड़ी आलोचना की थी। सोरोस ने कहा था, "भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं। उनके इतने तेजी से आगे बढ़ने के पीछे भारतीय मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़काना एक बड़ा कारक रहा है।' सोरोस ने कहा, 'मोदी और अरबपति अडानी में करीबी रिश्ते हैं। दोनों का भविष्य एक दूसरे से बंधा हुआ है। अडानी पर स्टॉक मैनीपुलेशन के आरोप हैं। मोदी इस मामले पर खामोश हैं। लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों के जवाब देने ही होंगे। इससे भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पुनरुत्थान होगा।'
सोरोस पहले भी मोदी की आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने जनवरी 2020 में दावोस में हुई वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक के एक कार्यक्रम में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। सोरोस ने कहा था कि भारत को हिंदू राष्ट्रवादी देश बनाया जा रहा है।
बता दें कि जॉर्ज सोरोस एक अमेरिकी अरबपति उद्योगपति हैं। ब्रिटेन में उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की तरह जाना जाता है जिसने 1992 में बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद कर दिया था। सोरोस का जन्म हंगरी में एक यहूदी परिवार में हुआ था। हिटलर के नाजी जर्मनी में जब यहूदियों को मारा जा रहा था तब वे किसी तरह सुरक्षित बच गए थे। बाद में वे कम्युनिस्ट देश से निकलकर पश्चिमी देश आ गए थे। शेयर मार्केट में पैसा लगाने वाले सोरोस ने इससे करीब 44 अरब डॉलर कमाया। इस धन से उन्होंने हजारों स्कूल, अस्पताल बनवाए। लोकतंत्र और मानवाधिकार के लिए लड़ने वाले संगठनों की मदद की।
साल 1979 में सोरोस ने ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की स्थापना की। यह अब करीब 120 देशों में काम करती है। उनके इस काम के कारण वे हमेशा दक्षिणपंथियों के निशाने पर रहते हैं। सोरोस ने 2003 के इराक युद्ध की आलोचना की थी। अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी को लाखों डॉलर दान में दिए थे। इसके बाद से उन पर अमेरिकी दक्षिणपंथियों के हमले और तेज होने लगे।
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद सोरोस पर हमले एक नए लेवल पर होने लगे। यहां तक कि राष्ट्रपति रहते डोनाल्ड ट्रंप ने भी उन पर कई बार निशाना साधा। साल 2019 में ट्रंप ने वीडियो को रिट्वीट करते हुए दावा किया था कि होंडुरास से हजारों शरणार्थियों को अमेरिकी सीमा पार कर दाखिल होने के लिए सोरोस ने फंडिंग की थी। बाद में पता चला कि ट्रंप ने फर्जी वीडियो शेयर किए थे।
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