रामटेक के ऐतिहासिक स्मारकों के विकास के लिए केंद्र से निधि मिलने का रास्ता साफ
- गढ़मंदिर, कालिदास स्मारक परिसर और अन्य संरक्षित स्मारकों के आवश्यक कार्य होंगे
- पंचायत समिति-रामटेक के पूर्व उपसभापति उदयसिंह उर्फ गज्जू यादव की कोशिशें रंग ला रहीं
@ सुनो सुनो रिपोर्ट |
रामटेक| नागपुर की रामटेक तहसील स्थित गढ़मंदिर, कालिदास स्मारक परिसर एवं अन्य संरक्षित स्मारकों के समुचित विकास कार्य के लिए केंद्र सरकार से निधि मंजूर होने का रास्ता साफ होता दिख रहा है। इस संबंध में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को आवश्यक निर्देश दिए। उसके बाद राज्य सरकार के पर्यटन संचालनालय ने आवश्यक कार्यवाही शुरू की है। पर्यटन संचालनालय के संबंधित अधिकारी ने पंचायत समिति, रामटेक के पूर्व उपसभापति उदयसिंह उर्फ गज्जू यादव से फोन पर बातचीत की। उनसे गढ़मंदिर एवं तहसील के अन्य संरक्षित स्मारकों के लिए आवश्यक निर्माणकार्यों पर परामर्श किया। इस बात की पुष्टि गज्जू यादव ने की है।
![]() |
उदयसिंह उर्फ गज्जू यादव (फाइल फोटो) |
दरअसल, इसी साल जून में गज्जू यादव ने केंद्रीय पर्यटन एवं सांस्कृतिक कार्य मंत्री किशन रेड्डी को उक्त आवश्यक कार्यों के सबंध में पत्र लिखा था। इसमें अनुरोध किया गया था कि केंद्र सरकार के तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान (प्रसाद)/ रामायण परिपथ योजना के तहत रामटेक तहसील स्थित गढ़मंदिर, कालिदास स्मारक परिसर एवं अन्य संरक्षित स्मारकों के विकास कार्य के लिए धनराशि स्वीकृत करें। गज्जू यादव ने इसी तरह के पत्र केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय संसदीय कार्य, सांस्कृतिक कार्य राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, केंद्रीय पर्यटन, बंदरगाह, जहाजरानी, जलमार्ग राज्यमंत्री श्रीपद नाईक को भी लिखे थे। इन पत्रों की प्रतियां महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व विधायक चंद्रशेखर बावनकुले को भेजी थीं। इसके बाद हाल ही में भारत सरकार के उपसचिव ने गज्जू यादव का पत्र महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मामलों के प्रमुख सचिव को आवश्यक कार्यवाही के लिए प्रेषित किया। इस संबंध में भारत सरकार के उपसचिव ने महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मामलों के प्रमुख सचिव को चिट्ठी लिखी। उसके बाद राज्य सरकार के पर्यटन संचालनालय ने आवश्यक कार्यवाही शुरू की।
केंद्रीय मंत्रियों को लिखे पत्रों में गज्जू यादव ने क्या कहा था :-
रामटेक स्थित गढ़मंदिर 13 वीं शताब्दी में देवगिरि के यादव वंशीय प्रतापी राजाओं सिंहण और रामचंद्र के कार्यकाल का होने संबंधी उल्लेख यादव नृपति रामचंद्र (ई.स. 1271 से 1312) संबंधी शिलालेख में मिलता है, जो कि गढ़मंदिर पर संस्कृत भाषा में मराठी रूपांतरण के साथ वर्णित है। महाकवि कालिदास द्वारा मेघदूत काव्य की रचना इसी परिसर मे किए जाने का प्रमाण हमारा इतिहास देता है। इतिहास पर दृष्टिपात करने के बाद यह तथ्य सामने आता है कि वनवास काल में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, माता जानकी के पावन पद स्पर्शों से रामटेक की धरा पवित्र हुई थी ।
इसी पावन भूमि पर स्थित सिंदुरा गिरि पर महर्षि अगस्ति का आश्रम है। महर्षि अगस्ति से आशीर्वाद लेने के लिए जब मर्यादा पुरुषोत्तम राम-लक्ष्मण उनके आश्रम में गए तो उन्होंने निशाचरों द्वारा किए जा रहे अत्याचार की कहानी उन्हें बताई, जिसे सुनकर प्रभु राम ने धरातल को निशाचरों से रहित करने की प्रतिज्ञा अपनी भुजाएं उठाकर ली थी, जिसका उल्लेख रामचरितमानस में कुछ इस प्रकार है- "निशिचर हीन करहुं महि, भुज उठाई प्रन कीन्ह।" संस्कृत भाषा की शब्दावली में टेक का अर्थ प्रतिज्ञा होता है। इसलिए तभी से इस तीर्थस्थल का नाम रामटेक पड़ा। रामटेक मतलब राम का प्रतिज्ञा स्थल। इसलिए यह तीर्थस्थल केंद्र की "रामायण परिपथ" योजना के लिए भी पात्र है ।
सुप्रसिद्ध धार्मिक क्षेत्र रामटेक गढ़मंदिर, कालिदास स्मारक परिसर तथा तहसील स्थित अन्य संरक्षित स्मारकों के समुचित विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा 150 करोड़ रुपए की प्रदत्त धनराशि अत्यल्प है। इसलिए रामटेक स्थित प्रमुख स्थलों का सर्वांगीण विकास संभव नही हैं। साथ ही जिस उद्देश्य के साथ यह धनराशि राज्य सरकार से मांगी गई थी, उस उद्देश्य की पूर्ति नहीं होते दिख रही है ।
क्या है रामायण परिपथ (Ramayan Circuit) योजना :-
दो साल पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने महत्वाकांक्षी रामायण सर्किट योजना शुरू करने का ऐलान किया था। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश में उन सभी स्थानों को जोड़ना है, जहां-जहां भगवान राम गए थे और जो रामायण से जुड़ी पौराणिक कथाओं की वजह से प्रसिद्ध हैं। स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन मंत्रालय की ओर से जो 13 थीम आधारित पर्यटन सर्किट्स विकसित किए जाने हैं, उनमें से रामायण सर्किट एक है।
रामायण सर्किट प्रोजेक्ट में देश के 9 राज्यों के 15 स्थान शामिल :-
- अयोध्या, शृंगवेरपुर और चित्रकूट (उत्तर प्रदेश)
- सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा (बिहार)
-चित्रकूट (मध्य प्रदेश)
- जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
- नंदीग्राम (पश्चिम बंगाल)
- महेंद्रगिरि (ओडिशा)
- भद्राचलम (तेलंगाना)
- रामेश्वरम (तमिलनाडु)
- हम्पी (कर्नाटक)
- नाशिक और नागपुर (महाराष्ट्र)
गज्जू यादव ने नागपुर जिले के रामटेक को रामायण सर्किट योजना में शामिल करने की मांग की है। पहले इसमें सिर्फ नागपुर शहर को चुना गया था। इसमें रामटेक का उल्लेख नहीं था। रामायण सर्किट के तहत आने वाले सभी शहरों में होटल, आवास की उन्नत सुविधाओं वाला स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया जाएगा। इन सभी शहरों को रेल, सड़क और हवाई यात्रा तीनों तरह के संपर्क से आपस में जोड़ा जाएगा। यहां रेलवे कनेक्टिविटी को और बेहतर किया जाएगा। अगर इन शहरों में एयरपोर्ट नहीं हैं तो नए बनाए जाएंगे। इनमें से जो भी शहर राष्ट्रीय राजमार्गों से नहीं जुड़े हैं, उनसे जोड़ा जाएगा। पूरा प्रयास है कि इस सर्किट की यात्रा करने वाले पर्यटकों को विश्व स्तरीय सुविधाएं मिलें और उनका सफर सुगम बनाया जा सके। प्रोजेक्ट को जल्दी से जल्दी पूरा किए जाने पर सरकार का जोर है। अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय (म्यूजियम) बनाने की तैयारी है। करीब 225 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस म्युजियम में यज्ञशाला होगी। यहां रामायण से जुड़े प्रसंगों की विभिन्न भाषाओं में हर दिन सजीव प्रस्तुति होगी।
क्या है प्रसाद योजना :-
भारत सरकार ने पर्यटन मंत्रालय के तहत वर्ष 2014-2015 में 'तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्द्धन अभियान' (Pilrilgrimage Rejuvenation And Spirituality. Augmentation Drive) यानी प्रसाद योजना शुरू की थी। यह योजना धार्मिक पर्यटन अनुभव को समृद्ध करने के लिए पूरे भारत में तीर्थ स्थलों को विकसित करने और पहचान करने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य संपूर्ण धार्मिक पर्यटन अनुभव प्रदान करने के लिए तीर्थ स्थलों को नियोजित और एकीकृत करना है। घरेलू पर्यटन का विकास बहुत हद तक तीर्थ पर्यटन पर निर्भर करता है। तीर्थ पर्यटन की क्षमता का दोहन करने के लिए सरकार द्वारा अन्य हितधारकों के सहयोग के साथ-साथ चयनित तीर्थ स्थलों के समग्र विकास की आवश्यकता है। प्रसाद योजना का उद्देश्य भारत में धार्मिक पर्यटन के विकास और संवर्धन का मार्ग प्रशस्त करना है।
केंद्र सरकार ने धार्मिक स्थलों (religious sites) का विकास करने के लिए शुरू की गई प्रसाद योजना का विस्तार किया है। फिलहाल इस योजना से 12 धार्मिक स्थलों को जोड़ा गया है। पर्यटन मंत्रालय ने योजना में शामिल स्थलों की संख्या को बढ़ाकर 41 कर दिया है यानी अब देश के 41 धार्मिक स्थलों पर बुनियादी सेवाएं और जरूरी इंफ्रा को स्थापित किया जा रहा है, जिससे यात्रियों को इन तीर्थ स्थलों तक पहुंचने और यहां रहने में सुविधा हो। इन स्थलों तक आवागमन बेहतर होने से न केवल टूरिज्म सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा, वहीं भारी संख्या में तीर्थ यात्रियों के पहुंचने से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। केंद्र सरकार ने प्रसाद योजना के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया है।
प्रसाद योजना का मकसद बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है। जैसे- प्रवेश स्थल (सड़क, रेल और जल परिवहन), आखिरी छोर तक कनेक्टिविटी, पर्यटन की बुनियादी सुविधाएं जैसे सूचना केंद्र, एटीएम, मनी एक्सचेंज, पर्यावरण अनुकूल परिवहन के साधन, क्षेत्र में प्रकाश की सुविधा और नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत से रोशनी, पार्किंग, पीने का पानी, शौचालय, अमानती सामान घर, प्रतीक्षालय, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, शिल्प बाजार, हाट, दुकानें, कैफेटेरिया, मौसम से बचने के उपाय, दूरसंचार सुविधाएं, इंटरनेट, कनेक्टिविटी आदि।
देश में हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, और सूफीवाद की तरह कई धर्मों का संगम है। वहीं उनके तीर्थस्थल भी हैं। ऐसे में माना जाता है कि घरेलू पर्यटन का विकास काफी हद तक तीर्थयात्रा पर्यटन पर निर्भर करता है, जो कि धार्मिक भावनाओं के द्वारा आंशिक रूप से या पूरी तरह से प्रेरित है। ऐसे में तीर्थयात्रा पर्यटन के लिए सबसे बड़ी चुनौती इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाना है क्योंकि सालों से ये स्थल बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना कर रहे थे। लोग यहां सिर्फ धार्मिक भावनाओं की वजह से जाते रहे हैं। अब जब सुविधाएं दी जा रही है तो इससे नौकरियां भी मिलेगी।
प्रसाद योजना की शुरुआत में ये 12 स्थल शामिल
- कामाख्या (असम)
- अमरावती (आंध्र प्रदेश)
- द्वारका (गुजरात)
- गया (बिहार)
- अमृतसर (पंजाब)
- अजमेर (राजस्थान)
- पुरी (ओडिशा)
- केदारनाथ (उत्तराखंड)
- कांचीपुरम (तमिलनाडु)
- वेलनकन्नी (तमिलनाडु)
- वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
- मथुरा (उत्तर प्रदेश)
घरेलू पर्यटन का विकास होने का अनुमान
बौद्ध तीर्थ यात्रा के लिए कुशीनगर के अलावा झारखंड स्थित देवघर समेत कई तीर्थ स्थलों में प्रसाद योजना के तहत बुनियादी सुविधाओं का निर्माण कराया जा रहा है। दूसरी तरफ रामायण सर्किट और बुद्ध सर्किट को भी जोड़ने का काम चल रहा है। देश में कोरोना में कमी होने के बाद घरेलू पर्यटन में बढोतरी हुई है। पर्यटन मंत्रालय की मानें तो दुर्गम इलाकों में कनेक्टिविटी में सुधार तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई विकास कार्य तेज कर दिए गए हैं, जिससे आने वाले यात्रियों को असुविधा न हो। बेहतर सुविधाएं मिलने से जहां पर्यटकों को सहूलियत होगी ,वहीं रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे। स्थानीय सरकार की इससे कमाई भी बढ़ेगी।
धार्मिक स्थल गढ़मंदिर, अंबाला तालाब व कालिदास स्मारक परिसर में प्रस्तावित कार्य
गज्जू यादव ने प्रस्तावित कार्यों का उल्लेख किया है। उन्होंने रामटेक का वैभव बढ़ाने के लिए राज्यसभा सदस्य मुकुल वासनिक, विधायक चंद्रशेखर बावनकुले तथा विधायक आशीष जायसवाल से भी सहायता का अनुरोध किया है। प्रस्तावित कार्य इस प्रकार हैं -
- गढ़मंदिर में प्रभु श्रीरामजी के दर्शन हेतु आनेवाले यात्रियों के लिए उत्कृष्ट दर्जे के यात्री निवास का निर्माण करना।
- प्रभु श्रीराम मंदिर की ओर सीढ़ियों द्वारा जानेवाले तीनों मार्गों पर स्वच्छतागृह का निर्माण करना। प्रभु श्रीराम मंदिर के समीप यात्रियों के लिए शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था करना। प्रभु श्रीराम मंदिर की ओर जानेवाली सभी सीढ़ियों की मरम्मत व रंगाई करना। गढ़मंदिर तटबंदी (प्रकोट परिसर) की वास्तु का जतन, दुरुस्ती व रंगाई करना। अंबाला तालाब परिसर स्थित पुरातन मंदिरों का जीर्णोद्धार, गढ़मंदिर से खाक चौक तक उतरनेवाली सीढ़ियों तथा अंबाला तालाब परिसर की सीढ़ियों का निर्माण करना।
- ॐ गार्डन तथा कालिदास स्मारक परिसर में भी स्वच्छतागृह, शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था, चेनलिंक, फेंसिंग का सुधार करना। कालिदास स्मारक की आंतरिक छत की दुरुस्ती व रंगाई करना। रामटेक तहसील स्थित सभी संरक्षित स्मारक (अधीक्षक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, औरंगाबाद) के विकास कार्य।
- सिंधुर बाहुली, कर्पुर बाहुली, कालिमाता मंदिर, त्रिविक्रम मंदिर, घंटेश्वर मंदिर, मनसर उत्खनन, नगरधन किला तथा आदिवासी भाग में स्थित डोंगरताल किला, ये सभी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। वर्तमान स्थिति में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा स्मारकों का जतन, साफ-सफाई व देखरेख की जाती है। लेकिन आवश्यक निधि के अभाव में उपरोक्त संरक्षित स्मारक बेहद दयनीय स्थिति में हैं।
- गढ़मंदिर के चारों ओर स्थित घंटेश्वर, सुधेश्वर, केदार और आंजनेय मंदिरों की समूची जानकारी लेकर पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु नागार्जुन परिसर तथा सिंदुरा गिरि (पर्वत) क्षेत्र को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करना। साथ ही खिंडसी जलाशय व व्याघ्र प्रकल्पों में विकास कार्य करना।
- विदेशी पर्यटकों को ऐतिहासिक यात्रा स्थल रामटेक का महत्व समझाने के लिए अन्य राज्यों में जैसे - मथुरा, काशी, वृंदावन, जयपुर, अजमेर, इस्कॉन मंदिर इत्यादि स्थानों पर प्रचार-प्रसार की उचित व्यवस्था करना। इसका उद्देश्य है- रामटेक का महत्व जानकर यहां विदेशी पर्यटक भी आएं।
- रामटेक गढ़मंदिर पर विदेशी पर्यटकों के आवागमन के लिए रोप-वे सुविधा, निजी हवाई सुविधा उपलब्ध कराने वाली निजी कंपनियों से चर्चा कर गढ़मंदिर के ऊपरी परिसर में प्रायोगिक तौर पर हवाई सुविधा शुरू करना। केंद्र की इन दोनों योजनाओं में समावेश होने से रामटेक को विश्व स्तर पर महान वैभव प्राप्त होगा।
****
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें